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दिल के रोगों - Heart Attack

दिल के रोगों को दूर करने के लिए आदिवासी करते हैं इस आयुर्वेदिक नुस्खे का उपयोग

अर्जुन का पेड़ आमतौर पर जंगलों में पाया जाता है और यह धारियों-युक्त फलों की वजह से आसानी से पहचान आता है, इसके फल कच्चेपन में हरे और पकने पर भूरे लाल रंग के होते हैं। अर्जुन का वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना है।
औषधीय महत्व से इसकी छाल और फल का ज्यादा उपयोग होता है। अर्जुन की छाल और फलों को दिल के रोगियों के लिए वरदान के रूप में देखा जाता है। आदिवासी इसे उच्चरक्तचाप और हृदय से जुडी समस्याओं के लिए अक्सर उपयोग में लाते हैं, चलिए जानते है हृदय की समस्याओं के निदान के लिए आदिवासी किस तरह से अर्जुन को उपयोग में लाते हैं।

अर्जुन के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

अर्जुन छाल और जंगली प्याज के कंदो का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में हितकर होता है।

अर्जुन की चाय हॄदय विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल का चूर्ण (१ ग्राम) एक कप पानी में खौलाया जाए, फिर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पियें तो फायदा होता है।

हृदय रोगियों के लिए पुर्ननवा का पांचांग (समस्त पौधा) का रस और अर्जुन छाल की समान मात्रा बड़ी फाय़देमंद होती है।

आदिवासियों के अनुसार अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में २ या ३ बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है।

अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर पीने से हृदय और उच्चरक्तचाप की समस्याओं में तेजी से आराम मिलता है। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें इससे उच्च-रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है।

कहा जाता है कि यदि हृदयघात जैसा महसूस होने पर अर्जुन का चूर्ण जुबान पर रख लिया जाए तो तेजी से फ़ायदा करता है और एक हद तक हृदयाघात के बुरे असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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