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ऐलोपैथी चिकित्‍सा पध्‍दति

ऐलोपैथी चिकित्‍सा पध्‍दति को हम आधुनिक चिकित्‍सा पध्‍दति के नाम से जानते हैं। इसका संबंध भौतिक, रसायन, गणित एवं प्रायोगिक प्रमाणों पर आधारित है। निरंतर नये-नये शोध कार्य और उपयोगिता के कारण ही इस चिकित्‍सा पध्‍दति को आज अति लोकप्रिय बनाया है। आज हम आधुनिक चिकित्‍सा पध्‍दति पर इतने निर्भर है की यदि हमारा सिर दु:ख रहा हो या कोई घाव हो गया हो तो हम तुरंत मेडिकल की दुकान पर जाकर संबंधित औषधियॉं ले आते है। 



आधुनिक चिकित्‍सा में रोगों के बाह्यकारण होते है। जैसे दुर्घटना, गोली लगना, जलना, डूबना, दम घुटना, करंट लगना, लू लगना, समुद्री यात्रा, प्रदुषण जन्‍मरोग आदि। विष से मनुष्‍य के शरीर में रुग्‍णता होती है। पारा, सीसा, शराब, कोयले की जहरीली गैस, नींद की औषधियाँ, गॉंजा, चरस, सर्पंश, विशैले जीवों का काटना आदि कृमि रोग तथा ऐसे ही अन्‍य रोग शरीर में घातक होते है। शरीर की पाचन शक्ति बिगड़ने से रोग होते है जिससे शरीर में अम्‍लता, क्षारता, मोटापा आदि रोग होते हैं। शरीर में अनेक ग्रंथियॉं भी होती है जिनके स्‍त्राव से शरीर का कार्य चलता है।

ग्रंथियों में जैसे पिटयूटरी जिसमें विकार उत्‍पन्‍न होने पर आदमी फैलकर जायन्‍ट हो जाता है। थायराइड के अधिक होने पर घेंघा मिक्सिडिमा आदि रोग होते है। पॅराथायराइड से केल्शियम में गड़बड़ी, टिनैनी, हड्डियों का अकारण टूटना, सुप्रारीनल से एडिसन, सफेद दाग, थाइमस से गले का रोग स्‍त्री-पुरुष की प्रजनन ग्रंथियों मे अनेक रोग पैंक्रिया जैसे मधुमेह होता है। विटामिनों की कमी, खनिजों की कमी आहार के असंतुलन से भी अनेक रोग उत्‍पन्‍न होते है। अस्थि और मांसपेशियों के रोग रक्त की कमी के कारण श्‍वास प्रणाली के अति चेतना से एलर्जी रोग। शरीर हर अवयव हर संस्‍थान के रोग हमें आये दिन देखने को मिलते है। हृदय रोग, मानसिक रोग, रेडियशन रोग जो की हिरोशिमा पर बम फटने पर प्रसिध्‍द हुआ। जितने रोग सामने आते गये उनसे बचने के लिए उन पर निदान भी सामने आये हैं। इसी.जी.इ.ई.जी अल्‍ट्रासाउन्‍ड स्‍कैन पैथालॉजी प्रयोगशालाओं में सैकड़ों प्रकार के प्रशिक्षण होते हैं। इलाज की दृष्टि से विगत पचास वर्षों से अपार प्रगति हुई है। शल्‍यक्रिया में नये- नये अनुसंधान हुए। बिना चिरफाड के ऑपरेशन होने लगे है। लोग कहते है आधुनिक चिकित्‍सा महंगी है इससे फायदा होता है नहीं नुकसान ही अधिक होता है। यह भी है की इससे रोग दब जाता है जड़ से आराम नहीं होता। यह आरोप कभी-कभी ठीक भी है। दवाओं के दाम बहुत तेजी से बढ़ गये है जिसमें व्‍यापारी वर्ग को अधिक लाभ है। फिर डॉक्‍टर्स अपने-अपने पॅथोलॉजी वालों की कमाई के लिए रोगी को जॉंच करवाने के लिए कहते है। फिर भी हम देखते है की हर अस्‍पताल में रोगियो की भीड़ लगी है। आधुनिक चिकित्‍सा विश्‍वव्‍यापी है। विश्‍वसंघ द्वारा संचालित है। लोगों को इस चिकित्‍सा पध्‍दति पर इसलिए भी विश्‍वास है की इसने लोगों को नया जीवन दिया है। आज से साठ सत्तर वर्ष पूर्व नवजात शिशु के मरने की संख्‍या चार सौ पॉंच सौ हुआ करती थी अब वह मुश्किल से सौ तक हो गई है। आज मृत्‍यु दर कम हो गई है। ऐलोपैथी चिकित्‍सा विज्ञान की कसौटी पर खरी है। इसलिए इसका प्रचार-प्रसार तो है ही साथ ही यह हमारे दैनिक जीवन का अंग बन गई है।
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